हस्तरेखा का ज्ञान – हस्त रेखा देखने की विधि

ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत हस्त-रेखा का विशेष महत्व है, तथा हस्त रेखा को भारतीय ज्योतिष का अभिन्न अंग माना गया है | प्राचीन काल से ही ज्योतिष शास्त्र का अपना ही महत्व रहा है | जिस व्यक्ति को रेखाओ का ज्ञान होता है वह व्यक्ति हस्त रेखा की सहायता से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओ का अनुमान लगा सकता है | आपके हाथ पर खींची हुई हर रेखा आपके भविष्य, वर्तमान तथा भूत से सम्बंधित रहस्यों को अपने में समाहित किये हुए है | आपके जीवन से सम्बंधित प्रत्येक हो चुकी तथा होने वाली घटना की जानकारी आपकी हस्त रेखाओ में विद्यमान है |

हस्त रेखा की दुनिया में सबसे बड़ा नाम महान ज्योतिषाचार्य कीरो (Cheiro) का है | भारत देश में हस्त रेखा पर अधिकतर पुस्तके कीरो के द्वारा ही लिखी गयी है, कीरो के द्वारा ही सर्वप्रथम भविष्य की गणना वैज्ञानिक पद्धति से करना प्रारम्भ किया गया था | भारत देश के महान ज्योतिष शास्त्र के ज्ञानी भी कीरो को अपना आदर्श मानते है |

एक अच्छे हस्त रेखा विशेषज्ञ के माध्यम से आप भी हस्त रेखा से सम्बंधित ज्ञान प्राप्त कर सकते है, जिसके द्वारा आप अपनी आयु, विवाह, संतान, भाग्य आदि के विषय में जानकारी ले सकते है, यदि आपको भी हस्त रेखा देखने में रूचि है तो यहाँ आपको “हस्तरेखा का ज्ञान – हस्त रेखा देखने की विधि (चित्र सहित), Hast Rekha Gyan (Palmistry in Hindi)” इसके विषय में जानकारी उपलब्ध कराई गयी है |


हस्त रेखा का ज्ञान (Knowledge of palm)

Table of Contents

हस्त रेखा विज्ञान के तहत हाथ की हस्त रेखा के आधार पर भूत तथा भविष्य में होने वाली घंटनाओ का अनुमान लगाया जा सकता है, तथा हाथ की उँगलियों की बनावट के आधार पर व्यक्ति के कार्य क्षेत्र, स्वभाव आदि का आकलन करने में सहायक सिद्ध होती है | आपकी हथेली में मुख्य रूप से सात बड़ी तथा सात छोटी रेखाएं होती है जिसमे मुख्य ह्रदय रेखा, भाग्य रेखा तथा मष्तिष्क रेखा होती है साथ बड़ी रेखाओ के नाम जीवन रेखा, ह्रदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा, सूर्य रेखा, स्वास्थ्य रेखा तथा शुक्र मुद्रिका है | इसके अतिरिक्त सात छोटी रेखाएं है, मंगल रेखा, चन्द्र रेखा, विवाह रेखा, निकृष्ट रेखा है तथा तीन मणिबंध रेखाएं होती है जो हथेली की जड़ और हाथ की कलाई स्थित होती है | इन रेखाओ के आधार पर व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, उसके मष्तिष्क की दशा, संतान तथा आयु के विषय में आकलन लगा सकते है |

महत्वपूर्ण बड़ी हस्त रेखा देखने का तरीका (Way to See Important Big Hand Line)

ह्रदय रेखा (Heart Line)

यह रेखा सबसे छोटी उंगली जिसे कनिष्का के नीचे से निकलकर तर्जनी उंगली के मध्य तक जाती है, यह रेखा व्यक्ति में अवसाद, गुण,स्वभाव, भावनात्मक स्थिरता, सामाजिक व्यवहार, चिडचिडा स्वभाव, साहित्य के प्रति प्रेम आदि को दर्शाती है, यह रेखा जितनी लम्बी होती है, वह व्यक्ति सरल , लोकप्रिय तथा मृदुभाषी होता है, तथा जीवन में सम्मान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त करता है, जिन लोगो की ह्रदय रेखा छोटी होती है, वह व्यक्ति चिडचिडा, शंकालु, असंतोषी प्रवृत्ति के होते है | ऐसे व्यक्ति की छोटी सोच होती है, यह किसी पर जल्दी विश्वास नहीं करते है तथा इस प्रकार के लोगो की प्रवृत्ति क्रूर होती है |

मस्तिष्क रेखा (Mind Line)

यह हाथ की दूसरी महत्वपूर्ण रेखा होती है, इस रेखा की शुरुआत तर्जनी उंगली के नीचे से होती हुई बाहर के किनारे की ओर बढ़ती जाती है | मस्तिष्क रेखा प्रारम्भ में जीवन रेखा से जुड़ी हुई होती है। यह रेखा प्रायः कभी सीधी तो कभी नीचे की तरफ होती है। जिस व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा जितनी अधिक लम्बी होती है उस व्यक्ति का मानसिक संतुलन उतना ही अच्छा होता है, इस प्रकार के लोग भाग्य की अपेक्षा मेहनत पर अधिक विश्वास करते है इनकी स्मरण शक्ति अच्छी होना, प्रत्येक कार्य को सोच समझ कर करना, हमेशा कुछ न कुछ सीखने में रूचि आदि गुण होते है तथा इसके विपरीत छोटी मष्तिष्क रेखा वाले मेहनत से ज्यादा भाग्य पर विश्वास करते है,तथा निर्णय लेने में जल्दबाजी करते है और बाद में पछताते है |

भाग्य रेखा (Fate Line)

हथेली के नीचे के स्थान को मणिबंध कहते हैं, भाग्य रेखा मध्यमा और अनामिका के बीच से होकर नीचे हथेली की ओर जाती है| यह रेखा प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में नहीं होती है| भाग्य रेखा जितनी अधिक स्पष्ट तथा साफ होती है, व्यक्ति का जीवन उतना ही सुगम होता है तथा वह व्यक्ति भाग्यशाली होता है |

जिन व्यक्तियों के हाथ में यह रेखा अस्पष्ट या टूटी हुई होती है, उन्हें जीवन में संघर्ष करना पड़ता है, तथा जिन व्यक्ति के हाथ में यह रेखा नहीं होती है, वह लोग मेहनती तथा कर्मवादी होते है, तथा इनका जीवन संघर्षपूर्ण होता है | यदि यह रेखा हथेली के नीचे से होकर जाती है तो परिवार के समर्थन से भाग्योदय होता है यदि यह रेखा चंद्र क्षेत्र से होकर जाती है तो वह लोग जीवन में दूसरों की सहायता और प्रोत्साहन से आगे बढ़ते है |

विवाह रेखा (Marriage Line)

विवाह रेखा छोटी उंगली यानि कनिष्टा के नीचे वाले हिस्से में छोटी छोटी रेखाएं होती है, तथा ह्रदय रेखा के समानान्तर होती है| इसे प्रेम रेखा भी कहते है, हाथ में विवाह रेखा की संख्या के आधार पर उस व्यक्ति के उतने ही प्रेम सम्बन्ध होते हैं | विवाह रेखा टूटी या कटी होने पर विवाह में मतभेद होने की संभावना होती है | हथेली में विवाह रेखा सूर्य पर्वत की ओर जा रही हो या पहुंच गयी हो तो उसका विवाह समृद्ध और सम्पन्न परिवार में होता है| यदि दोनों हाथों में विवाह रेखा एक समान होने पर दोनों का वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है तथा सामंजस्य बना रहता है | साथ ही यह रेखाए जितनी स्पष्ट होती है, व्यक्ति रिश्तों को उतना ही अधिक महत्व देता है|

संतान रेखा (Child Line)

संतान की रेखा विवाह रेखा के अंत में ऊपर की ओर जाती हुई प्रतीत होती है| विवाह रेखा पर खड़ी तथा सीधी रेखा पुत्र एवं टेढ़ी-मेढ़ी रेखा पुत्री का संकेत देती है। संतान रेखा जितनी अधिक स्पष्ट तथा उभरी हुई होती है तो उस संतान के द्वारा अधिक प्रेम तथा सुख की प्राप्ति होती है| इसी कारणवश किसी एक संतान से अधिक लगाव होता है, तथा उस संतान से बाकी की संतानों की अपेक्षा अधिक सुख की प्राप्ति होती है |

विद्या रेखा (Learning Line)

इस रेखा की शुरुआत अनामिका और मध्यमा उंगली के मध्य से होती है। यह रेखा अनामिका उंगली की ओर झुकी हुई होती है | जिन लोगों के हाथ में यह रेखा होती है वह निर्धन होने के बाद भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करते हैं साथ ही बुद्धिमान और ज्ञानी होते हैं तथा अपनी बुद्धि से सफलता प्राप्त करते हैं | यदि किसी व्यक्ति की हथेली में विद्या रेखा पर क्रॉस का निशान हो तो वह व्यक्ति पढ़ाई में अच्छा नहीं होता है |

यात्रा रेखा (Travel Line)

यात्रा रेखा हमारी हथेली पर तीन स्थानों पर उपलब्ध होती है, सबसे पहले चन्द्र-क्षेत्र पर, दूसरा मणिबन्ध से प्रारम्भ होकर ऊपर को जाती हुई प्रतीत होती है, तथा तीसरा जीवन रेखा से होते हुए निकलने वाली तथा उसी के सहारे चलने वाली रेखाएँ यात्रा रेखा होती है | यदि यह रेखा ऊपर की ओर जाती हुई प्रतीत होती है, तो यात्रा से वृद्धि होती है तथा यह रेखा भाग्य-रेखा एक में मिलकर अधिक गहरी रेखा हो जाने पर यात्रा के अंतर्गत भाग्य में उन्नति होती है।

अन्य महत्वपूर्ण रेखाएं (Other Important Lines)

स्वास्थ्य रेखा

स्वास्थ्य रेखा सबसे छोटी उंगली कनिष्का से प्रारम्भ होकर हथेली के नीचे की ओर जाती हुई प्रतीत होती है| यह रेखा जितनी अधिक स्पष्ट होती है, उस व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही अधिक उत्तम होता है |

सूर्य रेखा

यह रेखा चन्द्र पर्वत से प्रारम्भ होकर अनामिका ऊँगली तक जाती है सूर्य रेखा वाला व्यक्ति स्वाभिमानी, निडर, द्रढ़ इच्छाशक्ति वाला होता है, साथ ही नेतृत्व प्रिय होते है तथा जीवन में हार नहीं मानते है |

शुक्र मुद्रिका

यह रेखा कनिष्का और अनामिका के मध्य से प्रारम्भ होती है, तथा यह तर्जनी और अनामिका के मध्य में चंद्राकार रूप में होती है | यह रेखा विलासी, कामुक, खर्चीले तथा भौतिकतावादी लोगो की हथेली में पाई जाती है |

मंगल रेखा

यह रेखा जीवन रेखा तथा अंगूठे के मध्य से निकलती है तथा मंगल पर्वत तक जाती है| यह रेखा जितनी अधिक स्पस्ट होती है, वह व्यक्ति तीव्र बुद्धि, लक्ष्य के प्रति बहुत ही जुझारू तथा प्रत्येक कार्य को सोच समझ कर करने वाला होता है, तथा सोचें गए कार्य को पूरा करके ही रहता है |

चन्द्र रेखा

यह रेखा कनिष्का और अनामिका के मध्य से होकर नीचे मणिबंध तक जाती हुई प्रतीत होती है | इस रेखा का आकार धनुषाकार होता है तथा यह रेखा प्रेरणादायक तथा उन्नतिपूर्ण होती है | यह व्यक्ति व्यवहार कुशल तथा मिलनसार होते है |

निकृष्ट रेखा

यह रेखा दुःख तथा कष्टदायी होती है, इसलिए इसे निकृष्ट रेखा कहते है | यह चन्द्र रेखा की ओर से बढ़ती तथा स्वास्थ रेखा के साथ शुक्र स्थान में प्रवेश करती है |

हस्त रेखा से सम्बंधित धारणाये (Hand Line Associated Wears)

  • हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार पुरुष का दायां हाथ तथा महिलाओं का बायां हाथ की हस्त रेखाओ को देखना चाहिए |
  • मान्यता अनुसार हस्त रेखा प्रातःकाल में नहीं देखना चाहिए |
  • ज्योतिष विद्वान के अनुसार दोपहर या रात के समय भी हाथ की रेखाओं का आंकलन नहीं करना चाहिए |
  • ज्योतिष विद्वान को हाथ दिखाते समय दिमाग ठंडा तथा मन शांत होना चाहिए, जिससे अंदर की उथल-पुथल का प्रभाव हथेलियों पर पड़ेगा |
  • खाना खाने या किसी भारी कार्य को करने के बाद भी हाथ की रेखाएं नहीं देखना चाहिए उस समय रक्त प्रवाह तीव्र होने के कारण रेखाएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती है |

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