पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

पर्यावरण प्रदूषण से पहले हमें यह समझना होगा कि प्रदूषण क्या होता है। दूषित पदार्थो के कारण प्रकृति में जो समस्या उत्पन्न होती है, उसे प्रदूषण कहते हैं। और जब पर्यावरण के सभी घटक यथा वायु, जल, मृदा आदि प्रदूषित होने लगते हैं तो वे पर्यावरण प्रदूषण की श्रेणी में आ जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषण आज की सबसे बड़ी समस्या है। जिसके लिए सभी का जागरुक होना अति आवश्यक है। अब विविध परीक्षाओं में भी, यह विषय लिखने को दिया जाता है। यह आजकल का ज्वलंत विषय है। जिसे ध्यान में रखते हुए हम यहाँ कुछ छोटे-बड़े निबंध उपलब्ध करा रहें हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi)

निबंध – 1 (300 शब्द)

प्रस्तावना

जलवायु परिवर्तन के कारण हरितगृह (ग्रीनहाउस) प्रभाव और वैश्विक ताप में वृध्दि, ओजोन परत का क्षय होना, अम्लीय वर्षा होना, भूस्खलन, मृदा का क्षरण आदि चीजें होती हैं, जिसे पर्यावरण का प्रदूषित होना कहते हैं। मनुष्य ने अपने और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की कीमत पर प्रकृति के धन का दोहन किया है। इसके अलावा, जो प्रभाव अब तेजी से उभर रहा है, वह सब सैकड़ों या हजारों वर्षों से मनुष्यों की गतिविधियों के कारण है।

इन सबसे ऊपर, अगर हम पृथ्वी पर जीवित रहना और अपना जीवन जारी रखना चाहते हैं, तो हमें उपाय करने होंगे। ये उपाय हमारी अगली पीढ़ी के भविष्य के साथ-साथ हमें सुरक्षित बनाने में मदद करेंगे।

पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरणीय प्रदूषण को समझने से पूर्व यह समझना जरुरी है कि, पर्यावरण क्या है और हमें कैसे प्रभावित करता है। ‘‘हर्षकोविट्स’’ के शब्दों में-

‘‘पर्यावरण संपूर्ण वाह्य परिस्थितियों एवं प्रभावों का जीवधारियों पर पड़ने वाला सम्पूर्ण प्रभाव है जो उनके जीवन विकास एवं कार्य को प्रभावित करता है।’’

पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे ग्रह पर मानवता और अन्य जीवन रूपों का सामना करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रुप में परिभाषित किया जाता है। सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती हैं। प्रदूषक प्राकृतिक रूप से पदार्थ या ऊर्जा हो सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर उन्हें दूषित माना जाता है। प्राकृतिक संसाधनों की किसी भी दर का उपयोग प्रकृति द्वारा स्वयं को पुनर्स्थापित करने की क्षमता से अधिक होने पर वायु, जल और भूमि के प्रदूषण का परिणाम हो सकता है।

उपसंहार

पर्यावरण वह परिवेश है जिसमें हम रहतें हैं। लेकिन प्रदूषकों द्वारा हमारे पर्यावरण का प्रदूषित होना पर्यावरण प्रदूषण है। पृथ्वी का वर्तमान चरण जो हम देख रहे हैं, वह पृथ्वी और उसके संसाधनों के सदियों के शोषण का परिणाम है।

इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण के कारण पृथ्वी अपना संतुलन खो सकती है। मानव बल ने पृथ्वी पर जीवन का निर्माण और विनाश किया है। मानव पर्यावरण के क्षरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


निबंध – 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना

वर्तमान समय के परिपेक्ष में पर्यावरण प्रदूषण हमारे ग्रह के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक है। यह एक वैश्विक मुद्दा है, जिसे आमतौर पर सभी देशों में देखा जाता है। जिसके लिए संसार के सभी देश विचारशील हैं और इसके संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे है।

पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने और फैलाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून), ओजोन दिवस (16 सितंबर), जल दिवस (22 मार्च), पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल), जैव विविधता दिवस (22 मई) आदि मनाये जाते हैं।

पर्यावरण को प्रभावित करने वाले हानिकारक पदार्थ और प्रदूषित पर्यावरण प्रदूषण का निर्माण करते हैं। सभी तरह के प्रदूषण जैसे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, उष्मीय प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, और अन्य पर्यावरण प्रदूषण की व्यापक श्रेणी में आते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण के प्रभाव निस्संदेह कई और व्यापक हैं। प्रदूषण के अत्यधिक प्रभाव से मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, उष्णकटिबंधीय वर्षा-वन आदि को नुकसान पहुंच रहा है। वायु, जल, मिट्टी प्रदूषण आदि सभी प्रकार के प्रदूषणों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निम्नलिखित मुख्य प्रकार हैं-

वायु प्रदुषण – वायु हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक है। हम बिना खाये पिये एक दो दिन रह भी सकते हैं, लेकिन बिना श्वास के एक क्षण भी बिताना मुश्किल होता है। और सोचिए अगर जिस वायु से हम सांस लेते है, वही प्रदूषित हो गया तो हमारे लिए कितना विनाशकारी हो सकता है।

जल प्रदूषण – जल प्रदूषण तब होता है जब हानिकारक पदार्थ – जैसे रसायनों या फैक्ट्रियों का अपशिष्ट, नदी, झील, महासागर, जलभृत या पानी के अन्य स्रोत में जाकर मीलते हैं। जब हम इसे पीतें हैं, तो शरीर को दूषित करते हैं, साथ ही पानी की गुणवत्ता को कम करते हैं और इसे मनुष्यों और पर्यावरण के लिए विषाक्त करते हैं।

भूमि प्रदूषण (मृदा प्रदूषण) – मृदा प्रदूषण किसी भी चीज को संदर्भित करता है जो मिट्टी के प्रदूषण का कारण बनता है और मिट्टी की गुणवत्ता को खराब करता है। मृदा प्रदूषण अधिक मात्रा में कीटनाशकों, उर्वरकों, अमोनिया, पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन, नाइट्रेट, नेफ़थलीन आदि रसायनों की उपस्थिति के कारण हो सकता है।

उपसंहार

मानव ने आधुनिकता और वैज्ञानिकता के नाम पर प्रकृति का अत्यधिक दोहन किया है। परिणामस्वरुप हमारी धरती प्रदूषित हो गयी है। आज पूरी की पूरी आबोहवा ही प्रदूषित हो गयी है। न ही पीने के लिए साफ पानी है और न ही सांस लेने के लिए शुध्द हवा। और इसका जिम्मेदार और कोई नहीं केवल और केवल मनुष्य है। मनुष्य प्रजाति ने पेड़ो को काटकर अपने लिए ही समस्या उत्पन्न नहीं की है, अपितु अन्य पशु-पक्षियों से भी उनका निवास छीन लिया है।


निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना

पृथ्वी हमें हमारे स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, हम अधिक स्वार्थी होते जा रहे हैं और अपने पर्यावरण को प्रदूषित करते जा रहे हैं। हम नहीं जानते कि यदि हमारा पर्यावरण अधिक प्रदूषित हो जाता है, तो यह अंततः हमारे स्वास्थ्य और भविष्य को ही प्रभावित करेगा। पृथ्वी पर आसानी से जीवित रहना हमारे लिए संभव नहीं होगा।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण और स्रोत

औद्योगिक गतिविधि :

दुनिया भर के उद्योग भले ही वे संपन्नता और समृद्धि लाए हैं लेकिन पारिस्थितिक संतुलन को लगातार बिगाड़ रहे हैं और जीवमंडल का नाश कर रहें है। वैज्ञानिक प्रयोगों का प्रक्षेपण, धुएं का गुबार, औद्योगिक अपशिष्ट और विषैली गैसें पानी और हवा दोनों को दूषित करते है। औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान जल और मृदा प्रदूषण दोनों का स्रोत बन गया है। विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक कचरे से नदियों, झीलों, समुद्रों और धुएं के छोड़े जाने के माध्यम से मिट्टी और हवा में प्रदूषण फैल रहा है।

वाहन :

डीजल और पेट्रोल का उपयोग करने वाले वाहन विषैली गैसों को वायुमंडल में लीन करते हैं और कोयले को पकाने से जो धुआं निकलता है वह भी सीधे हमारे पर्यावरण में जाकर उसको प्रदूषित करता है। सड़कों पर वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि ने केवल धुएं के उत्सर्जन को सहायता नहीं दी है बल्कि उस हवा को भी प्रदूषित किया है जिसमें हम सांस लेते हैं। इन विभिन्न वाहनों का धुआं काफी हानिकारक है और वायु प्रदूषण का प्राथमिक कारण है। ये वाहन वायु प्रदूषण तो करते ही है, साथ ही ध्वनि प्रदूषण के भी मुख्य कारक है।

तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण :

शहरीकरण की तेजी और औद्योगीकरण की व्यापकता भी पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं क्योंकि वे पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे सामूहिक रुप से जानवरों, मनुष्यों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच रहा हैं।

जनसंख्या अतिवृद्धि :

विकासशील देशों में तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई है। बुनियादी भोजन और आश्रय की मांग बढ़ रही है। उच्च मांग के कारण, जनसंख्या की बढ़ती संख्या और मांग को पूरा करने के लिए वनों की कटाई तेज हो गई है।

जीवाश्म ईंधन दहन :

जीवाश्मों के ईंधनों का लगातार दहन कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के माध्यम से मिट्टी, हवा और पानी के प्रदूषण का स्रोत है।

कृषि अपशिष्ट :

कृषि के दौरान उपयोग किए जाने वाले कीटनाशक और उर्वरक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव

यह बताना अनावश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं, अर्थात, जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले पदार्थों को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

विभिन्न चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन प्रज्वलन और उद्योगों से गैसीय उत्सर्जन, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन को जलाना आदि। इसी तरह, कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं।

उपसंहार

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पीने के लिए उपयोग की जाने वाली पानी, भोजन उगाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी, और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है। ये तीनों के दूषित तत्व मानव के शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं और परिणामस्वरूप रोग पैदा होते हैं।